This is Google Translate's version of my own Hindi poem:-
Narayan was one devotee, Narayan, Narayan
Narayan was the ultimate devotee, was in childhood, puberty was
Morning worship was evening, ghee and jaggery presents the enjoyment
Jai Hari's, Jai Narain, Jai Hari's, Jai Narayan
One day came a mouse, ghee was Ct, Ct jaggery was
Mr. Narayan was watching, looking left, looking left
Mouse green than be understood by devotees, Bhakta admitted
Jai mouse, rat Hail, Hail mouse, rat Glory
Now pleasures mouse presents, presents ghee, jaggery presents
But one day came a cat, a rat hole running scared
Mouse than a cat may be considered by devotees, Bhakta admitted
Jai cat, cat Hail, Hail cat, cat Glory
Now Pilata cat milk, cat, cat stays Jpta
Bunka one day when a dog, a cat ran by throwing milk
From cat to dog, considered by devotees, Bhakta admitted
Jai dog, dogs Hail, Hail dog, dog's Glory
Now the dog food and presents, his prayers would Vndna
With the Dnda Ptniji on, the dog run
Dogs must be from his wife, considered by devotees, Bhakta admitted
Jai wife, wife Jai, Jai wife, wife's Glory
Aarti wife does now, does he garnish Abhishek
But when food became late, the devotee also scolded Ptniji
So I am more than wife, considered by devotees, Bhakta admitted
Hail Mary, my lord, my lord, my lord
Offers sacrifice your name, read his own Chalisa
One day when sitting in worship, divided attention was due to hunger
Themselves than have to stomach, considered by devotees, Bhakta admitted
Hail to the stomach, stomach Hail, Hail abdomen, abdominal Glory
Beyond what I say, God also bowed in front of the stomach
Hail to the stomach, stomach Hail, Hail abdomen, abdominal Glory
Hari also bowed in front of the stomach, also bowed Hari, Hari also bowed
Hail to the stomach, stomach Hail, Hail abdomen, abdominal Glory
This is the original:-
भक्त एक था नारायण का, नारायण का, नारायण का
परम भक्त था नारायण का, बचपन में था, यौवन में था
सुबह शाम पूजा करता था, घी और गुड़ के भोग चढ़ाता
जय हरि की, जय नारायण, जय हरि की, जय नारायण
एक दिन एक चूहा आया, घी चट गया, गुड़ चट गया
श्री नारायण देखते रह गए, देखते रह गए, देखते रह गए
हरी से बढ़कर चूहा होगा, भक्त ने समझा, भक्त ने माना
जय चूहे की, चूहे की जय, जय चूहे की, चूहे की जय
अब चूहे को भोग चढ़ाता, घी चढ़ाता, गुड़ चढ़ाता
लेकिन एक दिन बिल्ली आयी, डरकर चूहा बिल में भागा
चूहे से बढ़कर बिल्ली होगी, भक्त ने समझा, भक्त ने माना
जय बिल्ली की, बिल्ली की जय, जय बिल्ली की, बिल्ली की जय
अब बिल्ली को दूध पिलाता, बिल्ली बिल्ली जपता रहता
एक दिन जब एक कुत्ता भौंका, दूध गिराकर बिल्ली भागी
बिल्ली से बढ़कर कुत्ता होगा, भक्त ने समझा, भक्त ने माना
जय कुत्ते की, कुत्ते की जय, जय कुत्ते की, कुत्ते की जय
अब कुत्ते को अन्न चढ़ाता, उसकी पूजा वन्दना करता
पर पत्नीजी ने डन्डा लेकर, उस कुत्ते को मार भगाया
कुत्ते से बढ़कर पत्नी होगी, भक्त ने समझा, भक्त ने माना
जय पत्नी की, पत्नी की जय, जय पत्नी की, पत्नी की जय
अब पत्नी की आरती करता, अलंकार अभिषेक वह करता
पर जब भोजन देर से बना, पत्नीजी को भक्त ने डाँटा
पत्नी से बढ़कर मैं ही तो हूँ, भक्त ने समझा, भक्त ने माना
जय हो मेरी, मेरी जय हो, जय हो मेरी, मेरी जय हो
अपने नाम से यज्ञ कराता, अपनी ही चालीसा पढ़ता
एक दिन जब पूजा में बैठा, भूख के मारे ध्यान बट गया
खुद से बढ़कर पेट ही होगा, भक्त ने समझा, भक्त ने माना
जय हो पेट, पेट की जय हो, जय हो पेट, पेट की जय हो
इससे आगे क्या मैं बोलूँ, पेट के आगे हरि भी झुके
जय हो पेट, पेट की जय हो, जय हो पेट, पेट की जय हो
पेट के आगे हरि भी झुके, हरि भी झुके, हरि भी झुके
जय हो पेट, पेट की जय हो, जय हो पेट, पेट की जय हो
एक कन्नड लोक कथा पर आधारित
उल्लेख: स्वर्गीय श्री अ.कृ. रामानुजन का 'अ फ्लवरिंग ट्री' कथा संग्रह
देवनागरी लिपी टंकण http://www.higopi.com/ucedit/Hindi.html के सौजन्य से
Admittedly, Google's effort at being hilarious is more effective than mine. All hail the great Google!
Narayan was one devotee, Narayan, Narayan
Narayan was the ultimate devotee, was in childhood, puberty was
Morning worship was evening, ghee and jaggery presents the enjoyment
Jai Hari's, Jai Narain, Jai Hari's, Jai Narayan
One day came a mouse, ghee was Ct, Ct jaggery was
Mr. Narayan was watching, looking left, looking left
Mouse green than be understood by devotees, Bhakta admitted
Jai mouse, rat Hail, Hail mouse, rat Glory
Now pleasures mouse presents, presents ghee, jaggery presents
But one day came a cat, a rat hole running scared
Mouse than a cat may be considered by devotees, Bhakta admitted
Jai cat, cat Hail, Hail cat, cat Glory
Now Pilata cat milk, cat, cat stays Jpta
Bunka one day when a dog, a cat ran by throwing milk
From cat to dog, considered by devotees, Bhakta admitted
Jai dog, dogs Hail, Hail dog, dog's Glory
Now the dog food and presents, his prayers would Vndna
With the Dnda Ptniji on, the dog run
Dogs must be from his wife, considered by devotees, Bhakta admitted
Jai wife, wife Jai, Jai wife, wife's Glory
Aarti wife does now, does he garnish Abhishek
But when food became late, the devotee also scolded Ptniji
So I am more than wife, considered by devotees, Bhakta admitted
Hail Mary, my lord, my lord, my lord
Offers sacrifice your name, read his own Chalisa
One day when sitting in worship, divided attention was due to hunger
Themselves than have to stomach, considered by devotees, Bhakta admitted
Hail to the stomach, stomach Hail, Hail abdomen, abdominal Glory
Beyond what I say, God also bowed in front of the stomach
Hail to the stomach, stomach Hail, Hail abdomen, abdominal Glory
Hari also bowed in front of the stomach, also bowed Hari, Hari also bowed
Hail to the stomach, stomach Hail, Hail abdomen, abdominal Glory
This is the original:-
भक्त एक था नारायण का, नारायण का, नारायण का
परम भक्त था नारायण का, बचपन में था, यौवन में था
सुबह शाम पूजा करता था, घी और गुड़ के भोग चढ़ाता
जय हरि की, जय नारायण, जय हरि की, जय नारायण
एक दिन एक चूहा आया, घी चट गया, गुड़ चट गया
श्री नारायण देखते रह गए, देखते रह गए, देखते रह गए
हरी से बढ़कर चूहा होगा, भक्त ने समझा, भक्त ने माना
जय चूहे की, चूहे की जय, जय चूहे की, चूहे की जय
अब चूहे को भोग चढ़ाता, घी चढ़ाता, गुड़ चढ़ाता
लेकिन एक दिन बिल्ली आयी, डरकर चूहा बिल में भागा
चूहे से बढ़कर बिल्ली होगी, भक्त ने समझा, भक्त ने माना
जय बिल्ली की, बिल्ली की जय, जय बिल्ली की, बिल्ली की जय
अब बिल्ली को दूध पिलाता, बिल्ली बिल्ली जपता रहता
एक दिन जब एक कुत्ता भौंका, दूध गिराकर बिल्ली भागी
बिल्ली से बढ़कर कुत्ता होगा, भक्त ने समझा, भक्त ने माना
जय कुत्ते की, कुत्ते की जय, जय कुत्ते की, कुत्ते की जय
अब कुत्ते को अन्न चढ़ाता, उसकी पूजा वन्दना करता
पर पत्नीजी ने डन्डा लेकर, उस कुत्ते को मार भगाया
कुत्ते से बढ़कर पत्नी होगी, भक्त ने समझा, भक्त ने माना
जय पत्नी की, पत्नी की जय, जय पत्नी की, पत्नी की जय
अब पत्नी की आरती करता, अलंकार अभिषेक वह करता
पर जब भोजन देर से बना, पत्नीजी को भक्त ने डाँटा
पत्नी से बढ़कर मैं ही तो हूँ, भक्त ने समझा, भक्त ने माना
जय हो मेरी, मेरी जय हो, जय हो मेरी, मेरी जय हो
अपने नाम से यज्ञ कराता, अपनी ही चालीसा पढ़ता
एक दिन जब पूजा में बैठा, भूख के मारे ध्यान बट गया
खुद से बढ़कर पेट ही होगा, भक्त ने समझा, भक्त ने माना
जय हो पेट, पेट की जय हो, जय हो पेट, पेट की जय हो
इससे आगे क्या मैं बोलूँ, पेट के आगे हरि भी झुके
जय हो पेट, पेट की जय हो, जय हो पेट, पेट की जय हो
पेट के आगे हरि भी झुके, हरि भी झुके, हरि भी झुके
जय हो पेट, पेट की जय हो, जय हो पेट, पेट की जय हो
एक कन्नड लोक कथा पर आधारित
उल्लेख: स्वर्गीय श्री अ.कृ. रामानुजन का 'अ फ्लवरिंग ट्री' कथा संग्रह
देवनागरी लिपी टंकण http://www.higopi.com/ucedit/Hindi.html के सौजन्य से
Admittedly, Google's effort at being hilarious is more effective than mine. All hail the great Google!
Comments