शायरों की गुफ्तगू

This is a discussion going on between my friend Max and me over mobile sms:

I often whisper cloyingly
sweet nothings into the abyss...
What hits me like a door in the dark,
is murky silence. Who'll cleanse my soul?
(c) Max Babi

Silence
At times it's Zen but
when I wait upon your voice
silence always hurts.
(c) Ozymandias

आर्ज़ू
मिली है बहुत सज़ा उनसे गले लगाने की,
नज़र लग गयी मेरे प्यार को ज़माने की,
मर कर भी निकले रहे दोनों हाथ,
क्योंकि आर्ज़ू रह गयी उन्हें गले लगाने की|
(c) Max Babi

मुहिब्ब की इबादत
ना क‌ब्र‌ गाढ़े गढ़‌ती है
ना आग जलाये जलती है
तेरे मुहिब्ब की इबादत है
ना लाख़ मिटाये मिटती है
(c)Ozymandias

बेवक़ूफ़ की मिसाल
घिस गये हम औरों को करते हुए बहाल,
बेशर्म है ज़माना, र्ह गये हम बेहाल
बनने तो चले थे फ़रिश्ता
बन गये बेवक़ूफ़ की मिसाल
(c) Max Babi

ज़माने का ज़िम्मेदार
लोग हमें देखकर हंसते हैं, कहते हैं
देखो जा रहा है ज़माने को बदलनेवाला ठेकेदार‌
हम उनसे ख़ैर‌ इतना कहना चाहते हैं
शायरों ने भी छोड दिया तो कौन होगा ज़माने का ज़िम्मेदार?
(c) Ozymandias

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