ज़रा सी गुफ़्तगू

मेरे लब्ज़ों की रूह छूना कोई आसान काम नहीं
मेरे जज़्बों की धूप झेलना कोई आसान काम नहीं ||

कई समन्दर लहराते हैं दुनियाभर में,
मेरी मासूम झील में डूब मरना कोई आसान काम नहीं ||

बस जाओ मेरे दिल में, बन जाओ मेरा साया,
मेरे चेहरे की झुर्रियों में छिपकर पनपना कोई आसान काम नहीं ||

मेरे अन्दर आ बसे हो मुश्ताक़,
मेरे सुकून को लूटकर बहकना कोई आसान काम नहीं ||

- "मुश्ताक़"

दुनिया के चाहत का दरिया क्यों न हो, क्या करेगा रामेश,
तेरे मॊहब्बत का एक क़तरा मिल जाए, जी जाएगा रामेश |

- मेरा जवाब

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