काव्यान्तर

ढेर सार शीर्षक चुन रखे हैं
तुम्हारे भावुक संघात के लिये:
प्रेरणा का अक्षयपात्र,
स्थितप्रज्ञा का आत्मीयता
का अस्खलित स्रोत,
गगनविहंगी उत्कृष्ट
विचारों की नींव |
आज अचानक एक शब्द स्फूरा,
पर्वत की छाती चीरकर
जैसे दामिनी डमकी
पूर्ण प्राधिकता से:
क्षतिपूर्ति!

मुश्ताक़

मैंने तो केवल खींची थीं कागज़ पर,
काली सियाही की चन्द रेखाएँ;
तुम्ही ने बनायीं उन रेखाओं को,
कथा‍पात्रों की जीवनरेखाएँ |
- मेरा उत्तर

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