रिश्ता

ना गर्म और सर्द का रिश्ता
ना औरत और मर्द का रिश्ता
रहा है हमारा हमेशा
मायूसी और दर्द का रिश्ता ||
जाने क्या‍ क्या बनना चाहता था
बनकर रह गया हूँ न मर्द न फ़रिश्ता ||
कोई ऐरा गैरा बोली क्या लगाए
सहम जाते हैं रईसज़ादे देखकर
हमारा लाल‍-ओ-ज़र्द का रिश्ता ||
ठहर जाता है मुसाफ़िर
थम जाता है बाशिन्दा देखकर
हमारा बादल‍-ओ-बर्क़ का रिश्ता ||
एक दूजे से निकलते हैं
क्या शिद्द्त से मुश्ताक़
रहा है जो हमारा
पानी और बर्फ़ का रिश्ता ||

- मुश्ताक़

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