एक गुफ़्तगू

चन्द कलियाँ लहराईं,
किसमत भी मुस्काई,
अचानक सर्द हवाओं ने
सबकुछ उडा दिया|
- नमन

ज़मीन खोदा,
बीज बोया,
वह फूटा
किसमत का मारा,
न बारिश आयी
न पानी डाला,
चमन उजडा,
क़सूर का खेल
क्या खेलें,चल चिलम
भरते हैं|
- मैं

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