एक गुफ़तगू

क्या नज़ाकत है कि आरिज़ उनके नीले पड़ गये,
हमने तो बोसा लिया था ख़्वाब में तस्वीर का!
‍- मुश्ताक़

आपका जो दीदार हुआ, न देखा जाएगा कोई और नज़ारा,
इसलिए गुज़ारिश है आपसे, कि ख़्वाबों में मत आइएगा|
- 'ख़ाना बदोश'

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