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Your silence like
mid-day sun,
hardens my inner
doubts like fish
dried on a neglected
beach.

- Max

***

क्या ख़ाक समझते हम ख़ामोशी
धुआँदार ढेर थी जब नामोशी
मुँह के बल गिरने का एक फ़न है
हर बार मुस्कुराते उठना है बाहोशी

- मुश्ताक़

***

गुलिस्तान की पहचान न कर पाया ज़माना
माली के पसीने को मामूली समझा
पत्थर की सिल्वटों पे इतराते रहे
पत्थर तोड़नेवाले को मामूली समझा
- मुश्ताक़

***

There is complex
music throbbing in a
bird-laden tree at
sunrise.

- Max

***

ख़ामोशीने तुम्हें
ग़र्क़ क्या किया,
बातों बातों में या
तुम्ही ने बेसाख़्ता
घौटा लगाया एक
सुनसान समन्दर
में?
क्यों मेरे
ज़हन में
लब्ज़ ओ जज़बात
शिद्दतसे लर्ज़े
थर्राएत तड़पे फिर
धड़कर आख़िरान
उबलकर खौलने
लगे?
यह दिल एक
पुश्तैनी देग़ है
जिस आनजान
शैतानोंका कबीला
दूरसे मुसलसल हिलाता
रहता है,
अनगिनत ज़ायकेदार
झोंके आते रहते
हैं, सर्द हवाएँ
कानाफूसी करतीं
रहतीं हैं तो कभी
रूहकी बेअवाज़
चितकार या जले दिलकी
भपकी बेधड़क उठती है|
यही वह ढोल
तानसे पिटवाती
ज़िन्दगी है, या फिर
मेरे ख़्वाबों की
दरारें एकसाथ
मिलकर ज़िन्दगीका
नक़ाब औढ़े, गले
लग रहे हैं?

- मुश्ताक़

***

ज़िन्दगी लहर थी आप साहिल हुए,
न जाए कैसे हम आपके काबिल हुए,
न भूलेंगे हम उस हसीन पल को,
जब आप हमारी ज़िन्दगी में शामिल हुए

- मुश्ताक़

***

A smile on your lip,
A blooming tulip,
Makes me happy.

When we walk in park,
Music when I hark,
I am happy.

Stars when I gaze,
On a hammock I laze,
I am happy.

Searching for happiness
Makes us forget,
Small things, please. (sic)

- CSP

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