तेरा मुन्तज़िर घड़ी पर क्यों ग़ौर करे,
जब तू वक़्त की महकूम नहीं,
तेरी राह को तकती आँखों को
सूई से क्या वफ़ा?
- me
तेरा मुन्तज़िर घड़ी पर क्यों ग़ौर करे,
जब तू वक़्त की महकूम नहीं,
तेरी राह को तकती आँखों को
सूई से क्या वास्ता?
- Max
तेरा मुन्तज़िर घड़ी पर क्यों ग़ौर करे,
जब के तू वक़्त की गरदिश में नहीं
हम पे ज़माना ज़ुल्म ओ सितम और करे जफ़ा
पर तेरी राह को तकती अँखियाँ को
सूई से क्या वफ़ा?
- Mushahid
जब तू वक़्त की महकूम नहीं,
तेरी राह को तकती आँखों को
सूई से क्या वफ़ा?
- me
तेरा मुन्तज़िर घड़ी पर क्यों ग़ौर करे,
जब तू वक़्त की महकूम नहीं,
तेरी राह को तकती आँखों को
सूई से क्या वास्ता?
- Max
तेरा मुन्तज़िर घड़ी पर क्यों ग़ौर करे,
जब के तू वक़्त की गरदिश में नहीं
हम पे ज़माना ज़ुल्म ओ सितम और करे जफ़ा
पर तेरी राह को तकती अँखियाँ को
सूई से क्या वफ़ा?
- Mushahid
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