ख़लिश: एक गुफ़्तगू on October 27, 2010 Get link Facebook X Pinterest Email Other Apps बिन बारिश बादलजैसे बिनमनोकामनाका एक अस्तित्व - मुश्ताक़फूल बिना काँटे,मुर्झाये यौवन को यादकरता यह बदन - मैं Comments
Comments