यादें रुकतीं नहीं

यादें रुकतीं नहीं रोक पाने से,
दिल मानता नहीं किसी के समझाने से,
रुक जाती है धड़कन तुम्हें भूल जाने से,
हम तुम्हें याद करते हैं जीने के बहाने से

- मुशाहिद

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